हर ज़ख़्म-ए-कोहना वक़्त के मरहम ने भर दिया By Sher << जिन का यक़ीन राह-ए-सुकूँ ... बस्ती के हस्सास दिलों को ... >> हर ज़ख़्म-ए-कोहना वक़्त के मरहम ने भर दिया वो दर्द भी मिटा जो ख़ुशी की असास था Share on: