बे-सुतूँ इक नवाही में है शहर-ए-दिल की By दिल, Sher << दिल अब दुनिया पे ला'न... ऐ तराह-दार-ए-इश्वा-तराज़-... >> बे-सुतूँ इक नवाही में है शहर-ए-दिल की तेशा इनआ'म करें और कोई फ़रहाद रखें Share on: