ऐ 'रसा' जैसा है बरगश्ता ज़माना हम से By Sher << सुबू-ए-फ़लसफ़ा-ए-इश्क़-ओ-... फ़लक पर उड़ते जाते बादलों... >> ऐ 'रसा' जैसा है बरगश्ता ज़माना हम से ऐसा बरगश्ता किसी का न मुक़द्दर होगा Share on: