बिखर गया तो मुझे कोई ग़म नहीं इस का By Sher << हैं मिरी राह का पत्थर मिर... बस दरीचे से लगे बैठे रहे ... >> बिखर गया तो मुझे कोई ग़म नहीं इस का कि राज़ मुझ पे कई वा हुए बिखरते हुए Share on: