बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना था By Sher << सूप के दाने कबूतर चुग रहा... हमारे दम से है रौशन दयार-... >> बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना था हमारी कम-नसीबी हम में कुछ ग़ैरत ज़ियादा थी Share on: