चाँद मेरे घर में उतरा था कहीं डूबा न था By Sher << मुझ को जन्नत से उठा कर ये... नज़र गुम हो गई जल्वों में... >> चाँद मेरे घर में उतरा था कहीं डूबा न था ऐ मिरे सूरज अभी आना तिरा अच्छा न था Share on: