चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा By Sher << दर्द-ए-दिल बाँटता आया है ... बात कुछ होगी यक़ीनन जो ये... >> चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा चुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी Share on: