क़फ़स से आशियाँ तब्दील करना बात ही क्या थी By Sher << हाए वो हाथ भी तलवार-ए-सित... एक रस्म-ए-सरफ़रोशी थी सो ... >> क़फ़स से आशियाँ तब्दील करना बात ही क्या थी हमें देखो कि हम ने बिजलियों से आशियाँ बदला Share on: