दर कुंज-ए-सदा-बंद का खोलेंगे किसी रोज़ By Sher << जाने क्या क्या ज़ुल्म परि... ज़मीं को ऐ ख़ुदा वो ज़लज़... >> दर कुंज-ए-सदा-बंद का खोलेंगे किसी रोज़ हम लोग जो ख़ामोश हैं बोलेंगे किसी रोज़ Share on: