दर्द-ए-सर में है किसे संदल लगाने का दिमाग़ By Sher << फैलते हुए शहरो अपनी वहशते... हवा के साथ सफ़र का न हौसल... >> दर्द-ए-सर में है किसे संदल लगाने का दिमाग़ उस का घिसना और लगाना दर्द-ए-सर ये भी तो है Share on: