देखो तो एक जा पे ठहरती नहीं नज़र By Sher << अजब सी आग थी जलता रहा बदन... आज खुला दुश्मन के पीछे दु... >> देखो तो एक जा पे ठहरती नहीं नज़र लपका पड़ा है आँख को क्या देख-भाल का Share on: