दिल और सियह हो गए माह-ए-रमज़ाँ में By Sher << इस तरह भेस में आशिक़ के छ... याद उस बुत की नमाज़ों में... >> दिल और सियह हो गए माह-ए-रमज़ाँ में इक हौज़ है आईना-ए-नैरंग ज़मीं पर Share on: