दिन को है सहरा-नवर्दी से हमें काम ऐ रफ़ीक़ By Sher << जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ... वो अब वहाँ है जहाँ रास्ते... >> दिन को है सहरा-नवर्दी से हमें काम ऐ रफ़ीक़ शब को बिस्तर पर पड़े रहते हैं मन मारे हुए Share on: