दूर हम कर न सके कोर-निगाही अपनी By Sher << एक शीशे के मुक़ाबिल थे हज... बर्ग-ए-आवारा को अब अपना प... >> दूर हम कर न सके कोर-निगाही अपनी वो था पहले भी क़रीब-ए-रग-ए-जाँ आज भी है Share on: