ऐ अक़्ल निकल जा कि धुआँ आह का नहीं है By Sher << याद-ए-माज़ी ग़म-ए-इमरोज़ ... कितना आसान था बचपन में सु... >> ऐ अक़्ल निकल जा कि धुआँ आह का नहीं है ये इश्क़ के लश्कर की सिपाही नज़र आई Share on: