कितना आसान था बचपन में सुलाना हम को By Sher << ऐ अक़्ल निकल जा कि धुआँ आ... नामूस-ए-ज़िंदगी ग़म-ए-इंस... >> कितना आसान था बचपन में सुलाना हम को नींद आ जाती थी परियों की कहानी सुन कर Share on: