याद-ए-माज़ी ग़म-ए-इमरोज़ उमीद-ए-फ़र्दा By Sher << है तिश्ना-लबी लेकिन हम क्... ऐ अक़्ल निकल जा कि धुआँ आ... >> याद-ए-माज़ी ग़म-ए-इमरोज़ उमीद-ए-फ़र्दा कितने साए मिरे हमराह चला करते हैं Share on: