एक बस्ती थी हुई वक़्त के अंदोह में गुम By Sher << हम चाहते थे माह-ए-दरख़्शा... यूँ भी मिली है मुझ को मिर... >> एक बस्ती थी हुई वक़्त के अंदोह में गुम चाहने वाले बहुत अपने पुराने थे उधर Share on: