इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने By Sher << था मुझे वहम-ओ-गुमाँ की वो... हर शख़्स को गुमान कि मंज़... >> इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने अब मुझे देख रहा है वो धुआँ होते हुए Share on: