एक तो मर्ज़ी न थी जाने को मेरी उस तरफ़ By Sher << फ़र्बा-तनी की फ़िक्र में ... इक बोसा माँगता हूँ मैं ख़... >> एक तो मर्ज़ी न थी जाने को मेरी उस तरफ़ तिस पे दिल आँखों से बाराँ ख़ूँ का बरसाता रहा Share on: