इक वही खोल सका सातवाँ दर मुझ पे मगर By Sher << फ़साना-दर-फ़साना फिर रही ... एक मुद्दत से ख़यालों में ... >> इक वही खोल सका सातवाँ दर मुझ पे मगर एक शब भूल गया फेरना जादू वो भी Share on: