फाड़ ही डालूँगा मैं इक दिन नक़ाब-ए-रू-ए-यार By Sher << मैं कि एक मेहनत-कश मैं कि... गर्म अज़-बस-कि है बाज़ार-... >> फाड़ ही डालूँगा मैं इक दिन नक़ाब-ए-रू-ए-यार फेंक दूँगा खोद कर गुलज़ार की दीवार को Share on: