गर्म अज़-बस-कि है बाज़ार-ए-बुताँ ऐ ज़ाहिद By Sher << फाड़ ही डालूँगा मैं इक दि... 'क़मर' अफ़्शाँ चु... >> गर्म अज़-बस-कि है बाज़ार-ए-बुताँ ऐ ज़ाहिद रश्क से टुकड़े हुआ है हज्र-ए-अस्वद भी Share on: