फ़िराक़ बिछड़ी हुई ख़ुशबुओं का सह न सकें By Sher << जो ज़ख़्म दोस्तों ने दिए ... मौसम-ए-गुल तिरे सदक़े तिर... >> फ़िराक़ बिछड़ी हुई ख़ुशबुओं का सह न सकें तो फूल अपना बदन पारा पारा करते हैं Share on: