फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक By Sher << चाहता हूँ मैं तशद्दुद छोड... मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ै... >> फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक इलाही हो न वतन से कोई ग़रीब जुदा Share on: