मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती By Sher << फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम... कितनी लम्बी ख़ामोशी से गु... >> मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती यूँ तो मेरे होंटों पर मस्लहत का ताला है Share on: