फ़ितरत में आदमी की है मुबहम सा एक ख़ौफ़ By Sher << हम लकीरें कुरेद कर देखें मैं तुझे भूल न पाया तो ये... >> फ़ितरत में आदमी की है मुबहम सा एक ख़ौफ़ उस ख़ौफ़ का किसी ने ख़ुदा नाम रख दिया Share on: