फलदार था तो गाँव उसे पूजता रहा By Sher << बिखरा बिखरा सा साज़-ओ-साम... जो सज़ा दीजे है बजा मुझ क... >> फलदार था तो गाँव उसे पूजता रहा सूखा तो क़त्ल हो गया वो बे-ज़बाँ दरख़्त Share on: