फ़र्क़ जो कुछ है वो मुतरिब में है और साज़ में है By Sher << गले लगा के किया नज़्र-ए-श... एक इक लम्हे में जब सदियों... >> फ़र्क़ जो कुछ है वो मुतरिब में है और साज़ में है वर्ना नग़्मा वही हर पर्दा-ए-आवाज़ में है Share on: