फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ By Sher << सुनती है रोज़ नग़्मा-ए-ज़... ज़िंदगानी की हक़ीक़त कोहक... >> फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी Share on: