ग़ज़ल उस के लिए कहते हैं लेकिन दर-हक़ीक़त हम By Sher << अव्वल आख़िर ही जब नहीं बस... दीवार ख़स्ता-हाल है और दर... >> ग़ज़ल उस के लिए कहते हैं लेकिन दर-हक़ीक़त हम घने जंगल में किरनों के लिए रस्ता बनाते हैं Share on: