गले लग कर हम उस के ख़ूब रोए By Sher << सैंकड़ों दिलकश बहारें थीं... क्यूँकर करूँ मैं तर्क शरा... >> गले लग कर हम उस के ख़ूब रोए ख़ुशी इक दिन मिली थी राह चलते Share on: