गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए By Sher << आलम-ए-इश्क़ में अल्लाह-रे... 'अर्शिया-हक़' के ... >> गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए वगर्ना याद थीं हम को शिकायतें क्या क्या Share on: