गर्मी में तेरे कूचा-नशीनों के वास्ते By Sher << वो लोग मुतमइन हैं कि पत्थ... हम लबों से कह न पाए उन से... >> गर्मी में तेरे कूचा-नशीनों के वास्ते पंखे हैं क़ुदसियों के परों के बहिश्त में Share on: