रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई करे ज़िक्र तो बात By Sher << गुज़र रहा हूँ किसी जन्नत-... दयार-ए-फ़िक्र-ओ-हुनर को न... >> रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई करे ज़िक्र तो बात घूम फिर कर तिरी पोशाक पे आ जाती है Share on: