गुलों से खेल रहे हैं नसीम के झोंके By Sher << हैं सौ तरीक़े और भी ऐ बे-... ग़ुस्सा क़ातिल का न बढ़ता... >> गुलों से खेल रहे हैं नसीम के झोंके क़फ़स में बैठा हुआ हाथ मल रहा हूँ मैं Share on: