हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े तो ये देखा By Sher << हुस्न-ए-इख़्लास ही नहीं व... होश वाले तो उलझते ही रहे >> हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े तो ये देखा कि तिश्नगी थी बरहना तिरी अदाओं तक Share on: