हुस्न-ए-इख़्लास ही नहीं वर्ना By Sher << इस फ़ैसले पे लुट गई दुनिय... हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े ... >> हुस्न-ए-इख़्लास ही नहीं वर्ना आदमी आदमी तो आज भी है Share on: