हज़ारों पैकर-ए-उम्मीद नज़रों से हुए ओझल By Sher << तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ... ख़िज़्र से कह दो कि आ कर ... >> हज़ारों पैकर-ए-उम्मीद नज़रों से हुए ओझल जो कुछ बाक़ी रहे थे वो भी पिन्हाँ होते जाते हैं Share on: