हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं By Sher << ये कौन हँस के सेहन-ए-चमन ... एक सूरज था कि तारों के घर... >> हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं दिलों को दर्द से आबाद रखना चाहते हैं Share on: