हम जो पहुँचे तो लब-ए-गोर से आई ये सदा By Sher << जुनूँ अब मंज़िलें तय कर र... 'मीर' का तर्ज़ अप... >> हम जो पहुँचे तो लब-ए-गोर से आई ये सदा आइए आइए हज़रत बहुत आज़ाद रहे Share on: