हर नई नस्ल को इक ताज़ा मदीने की तलाश By Sher << उट्ठा जो अब्र दिल की उमंग... एक मुश्त-ए-ख़ाक और वो भी ... >> हर नई नस्ल को इक ताज़ा मदीने की तलाश साहिबो अब कोई हिजरत नहीं होगी हम से Share on: