हर तरफ़ दोस्ती का मेला है By Sher << कटा न कोह-ए-अलम हम से कोह... मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है ... >> हर तरफ़ दोस्ती का मेला है फिर भी हर आदमी अकेला है Share on: