मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद By Sher << हर तरफ़ दोस्ती का मेला है खोलीं वो दर किसी ने भी खो... >> मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद दिल-ए-शिकस्ता मिरी काएनात है शायद Share on: