हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है By Sher << हुआ है क़र्या-ए-जाँ में य... रह-ए-हयात में लाखों थे हम... >> हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है कभी फ़ुर्सत में मुझे देखने आना मिरे दोस्त Share on: