हो गया हूँ मैं नक़ाब-ए-रू-ए-रौशन पर फ़क़ीर By Sher << ज़मानों को उड़ानें बर्क़ ... कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुल... >> हो गया हूँ मैं नक़ाब-ए-रू-ए-रौशन पर फ़क़ीर चाहिए तह-बंद मुझ को चादर-ए-महताब का Share on: