कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें By Sher << हो गया हूँ मैं नक़ाब-ए-रू... तुम को बेगाने भी अपनाते ह... >> कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता Share on: