इस इंतिहा-ए-क़ुर्ब ने धुँदला दिया तुझे By Sher << शाइ'री ताज़ा ज़मानों ... चारागर ने बहर-ए-तस्कीं रख... >> इस इंतिहा-ए-क़ुर्ब ने धुँदला दिया तुझे कुछ दूर हो कि देख सुकूँ तेरा बाँकपन Share on: