ज़िंदा रहने के तक़ाज़ों ने मुझे मार दिया By Sher << ये दलील-ए-ख़ुश-दिली है मि... घर तो क्या घर का निशाँ भी... >> ज़िंदा रहने के तक़ाज़ों ने मुझे मार दिया सर पे 'जावेद' अजब अहद-ए-मसाइल आया Share on: