ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से By Sher << मिरी दहलीज़ पर चुपके से &... जिसे न मेरी उदासी का कुछ ... >> ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म Share on: